भोपाल, 25 अगस्त। अब एम्स भोपाल के आयुष विभाग में मरीजों का उपचार तमिलनाडु की प्रसिद्ध सिद्धा चिकित्सा पद्धति से होगा। सह चिकित्सा पद्धति छह हजार वर्षों से भी अधिक पुरानी है। इसकी शुरुआत मंगलवार, 27 अगस्त 2024 से हो रही है।
इन बीमारियों के उपचार में प्रभावी है यह चिकित्सा पद्धति
सिद्ध चिकित्सा प्रणाली अपनी प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध है, जो तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार, त्वचा रोग, श्वसन संबंधी समस्याएं और मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी रोगों के उपचार में प्रभावी है। इसके अतिरिक्त, यह शिशु रोग, स्त्री रोग और मनोरोग के लिए विशिष्ट उपचार भी प्रदान करती है, जो प्राकृतिक और समय-परीक्षित उपचारों के साथ स्वास्थ्य के विविध मुद्दों का समाधान करती है।
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस पहल पर कहा, एम्स भोपाल में सिद्ध सेवाओं की शुरुआत हमारे समग्र स्वास्थ्य सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। सिद्ध जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ एकीकृत करके, हमारा उद्देश्य रोगियों को व्यापक उपचार प्रदान करना है, जो न केवल उनकी स्वास्थ्य चिंताओं का समाधान करेगा, बल्कि उनके समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देगा। इस पहल से जहां एक ओर भारत की समृद्ध चिकित्सा धरोहर को संरक्षित किया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर प्रदेश के लोगों को विविध और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी।
सिद्ध सुविधा एम्स भोपाल के आयुष भवन में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित होगी, जिससे सभी रोगियों के लिए यह सेवाएं सुलभ और सुविधाजनक होंगी। यह पहल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ समुदाय को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ऋषि अगस्त्य हैं सिद्धा चिकित्सा के जनक
सिद्धा चिकित्सा की मेडिकल ऑफिसर डॉ. ए एश्वर्या ने बताया कि तमिलनाडु में मुख्य रूप से दक्षिणी भारत के सिद्धों ने सिद्धा चिकित्सा पद्धति की नींव रखी थी। ऋषि अगस्त्य को सिद्धा चिकित्सा का जनक माना जाता है। सिद्धा आध्यात्मिक निपुण थे, जिनके पास अष्ट सिद्धियां थीं। इस चिकित्सा पद्धति में 18 सिद्धों को महत्वपूर्ण माना गया है। सिद्धा चिकित्सा के मूल ग्रंथ और ग्रंथ तमिल भाषा में लिखे गए हैं।