भोपाल। राजधानी के शहीद भवन में आयोजित नाट्य समारोह अविराम के तहत बुधवार को पंचलेट नाटक का मंचन किया गया। इसकी कहानी फणीश्वर नाथ रेणु ने लिखी है। नाटक का निर्देशन अनूप शर्मा ने किया। इस मौके पर समाजसेविका रीटा विश्वकर्मा, पत्रकार मुकेश विश्वकर्मा, दुर्गा मिश्रा सहित अन्य हस्तियों को दुष्यंत कुमार सम्मान से सम्मानित किया गया।
यह है पंचलेट की कहानी: शहीद भवन में बुधवार को बुंदेली भाषा में नाटक पंचलेट का मंचन किया गया। इस नाटक का मंचन दूसरी बार एईटीसी संस्था की ओर से किया गया। फणीश्वर नाथ रेणु के लिखे नाटक का नाट्य रूपांतरण सुनील राज और बुंदेली में अनुवाद आरती विश्वकर्मा ने किया। नाटक की शुरुआत होली गीत और राई नृत्य से हुई। कहानी में मेहतो गांव का सबसे निचले तबके का समुदाय है। गांव के लोग मंच पर लालटेन लेकर आते हैं। गांव में लाइट नहीं होने पर उन्होंने पेट्रामेक्स खरीदा, जिसे ग्रामीण पंचलेट यानी पंचलाइट कहने लगे। गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलेट चलाना नहीं आता है। शहर से आया युवक गोधन पंचलेट चलाना जानता है। लेकिन रेडियो पर गाने सुनने और युवती से प्रेम करने के कारण उसे गांव के लोग समाज से बाहर कर देते हैं। जब कोई पंचलेट चलाने वाला नहीं मिलता है तो गांव के लोग गोधन को मनाते हैं और वापस समाज में लाते हैं। फिर गोधन पंचलेट को चालू कर देता है। इस नाटक में प्रेम कहानी और गांव वालों की नोकझोंक बताई गई है।