भोपाल। हॉस्टल की छत गिरने की कगार पर है, बारिश के समय सबसे अधिक परेशानी होती है। यह समस्या कई बार अधिकारियों को बताई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ तो रात 3 बजे 39 छात्राएं कलेक्टर को यह समस्या बताने जिला मुख्यालय के लिए पैदल चल दीं। सुबह जब हॉस्टल से छात्राएं नदारद मिलीं तो हडक़ंप मच गया। अधिकारी छात्राओं को खोजने निकले तो वे रास्ते में मिलीं। उन्हें समस्या और कलेक्टर से बात कराई, फिर वाहनों से हॉस्टल पहुंचाया।
तहसीलदार ने छात्राओं की कलेक्टर से कराई बात
मामला मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के पानसेमल के कन्या परिसर का है। सुबह छह बजे हॉस्टल की वार्डन को दो रूम में छात्राएं नहीं मिलीं। इसके बाद हडक़ंप मच गया। प्रभारी तहसीलदार सुनील सिसोदिया, हॉस्टल वार्डन सहित प्राचार्य संतोष पंवार तत्काल छात्राओं को खोजने निकले। खड़ीखाम गांव के पास छात्राएं उन्हें पैदल जाते हुए मिलीं। अधिकारियों को छात्राओं ने बताया कि हम हॉस्टल की समस्या बताने के लिए कलेक्टर साहब से मिलने जा रहे हैं। अधिकारियों ने छात्राओं को समस्या, फिर उनकी बात कलेक्टर से करवाई। इसके बाद सभी 39 छात्राओं को वाहनों से हॉस्टल पहुंचाया।
छात्राएं बोलीं-हमें हॉस्टल चाहिए
एक छात्रा ने बताया कि उनके हॉस्टल की छत गिर रही थी, इसलिए वे कलेक्टर साहब के पास जा रहे थे। उसके लिए हम रात तीन बजे हॉस्टल से निकले थे और पैदल जाते हुए खड़ीखाम के जंगल तक पहुंच गए थे। वहां उन्हें लेने प्रिंसिपल सर आ गए थे। आठवीं की एक छात्रा ने कहा कि हमें हॉस्टल चाहिए। इसलिए हॉस्टल की मांग करने करीब 88 किमी दूर बड़वानी कलेक्टर के पास जा रहे थे। हम 39 बच्चे थे, जिन्हें सर ने हॉस्टल बन जाने का आश्वासन दिया है। इनके साथ ही कक्षा आठवीं की ही एक अन्य छात्रा ने बताया कि हमारे प्रिंसिपल सर ने कई बार जाकर बोला, फिर भी हमारा हॉस्टल नहीं बना है। जबकि बारिश में पानी रहता है, नीचे बैठने में परेशानी होती है। इसलिए हम कलेक्टर साहब से मिलने गए थे।