भोपाल. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) भोपाल में जल्द ही हार्ट और फेफड़े का ट्रांसप्लांट किया सकेगा। इसकी मंजूरी मिल चुकी है, वहीं 60 करोड़ की लागत से दो रोबोट भी खरीदे जाएंगे, जो जटिल ऑपरेशन में मदद करेंगे। यह जानकारी अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने संस्थान की दो वर्षों की उपलब्धि की चर्चा करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में हमने अभूतपूर्व प्रगति की है। यह प्रगति न केवल रोगी देखभाल के क्षेत्र में बल्कि शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी हमने अपना परचम लहराया है। अगर हम मरीजों की बात करें तो दो वर्ष पहले ओपीडी में जहां केवल 3 लाख 76 हजार मरीज आते थे वही ये संख्या बढक़र 10 लाख 50 हजार हो गयी है। मेजऱ सर्जरी में 92 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जबकि माइनर सर्जरी 300 प्रतिशत बढ़ गई है। ट्रॉमा और इमरजेंसी में हमारी नो रिफ्यूजल पॉलिसी के कारण मरीजों में 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई , जबकि भर्ती होने वाले मरीज 180 प्रतिशत बढ़ गए। आयुष्मान योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या में भी 250 प्रतिशत का उछाल आया है।
विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एम्स भोपाल की सेन्ट्रल लाईब्रेरी में पुस्तकों की हार्डकॉपी और ई-बुक जैसी सुविधा उपलब्ध है जिसमें 800 नए ई-जर्नल जोड़े गए। इन किताबों में हिन्दी एवं अंग्रेजी में मेडिकल और नॉन मेडिकल किताबें शामिल हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि 2022 में लाईब्रेरी पर 65 लाख सालाना खर्च होता था जो बढक़र 3.5 करोड़ हो गया। हिंदी की किताबें जो मात्र 1200 हुआ करती थीं अब 11670 हो गई हैं। लाईब्रेरी में स्टूड़ेंट्स के बैठने की क्षमता 250 से बढक़र 600 हो गई है। इसके अलावा 2022 में बीएससी नर्सिंग की सीटों की संख्या 75 थी, जो अब बढक़र 90 हो गईं। वहीं पीजी कोर्स में एमडी/एमएस की सीटें 103 से बढक़र 165, डीएम/एमसीएच की सीटें 30 से 75 तथा पीजी नर्सिंग की सीट 28 से बढक़र 42 हो गई हैं।
प्रो. सिंह ने बताया कि यूजी-रिसर्च के लिए अनूठी पहल शुरू की गई है। संस्थान के 18 यूजी स्टूडेंट्स ने अलग-अलग नेशनल कांफ्रेंस में भाग लिया तथा 15 यूजी स्टूडेंट्स विदेश में रिसर्च के लिए चयनित हुए। एम्स भोपाल में संचालित स्टूडेंट वेलनेस सेंटर में एक साल में 714 स्टूडेंट्स ने कंसल्ट किया।
प्रो. सिंह ने कहा कि जल्द ही हम हृदय और फेफड़े का ट्रांसप्लांट भी शुरू करेंगे। इसके अलावा वन स्टेट वन हेल्थ की दिशा में एम्स भोपाल ने एसओपी तैयार की है जिसके तहत पूरे प्रदेश में एम्स के स्तर का इलाज मिल सके, ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाले दिनों में 60 करोड़ लागत के दो रोबेाट भी खरीदे जा रहे हैं जिससे जटिल ऑपरेशन करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा एम्स भोपाल रोगी कल्याण हेतु अन्य कई कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें यह प्रयास रहता है कि कोई भी व्यक्ति बिना इलाज के यहां से न जाए।
प्रो. सिंह ने कहा कि हमें अपनी इन उपब्लधियों पर संतोष करके बैठना नहीं चाहिए बल्कि नए लक्ष्य निर्धारित करके उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नयी ऊर्जा और नए उत्साह के साथ प्रयत्न करना होगा। एम्स भोपाल रोगी देखभाल के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर स्वस्थ भारत की नयी आधारशिला रखेगा।