नई दिल्ली। भारतीय लोगों के जीन आधारित उपचार के मकसद से वैज्ञानिक भारत के 10 हजार से अधिक लोगों का जीनोम सीक्वेंसिंग करेंगे। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।
विज्ञान जगत के लिए यह ऐतिहासिक मौका
उन्होंने केंद्र सरकार का मकसद बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक देश की आबादी का डेटाबेस तैयार करने के मकसद से जीनोम सीक्वेंसिंग करेंगे। केंद्रीय मंत्री सिंह ने जीन आधारित उपचार के मकसद से होने वाली सीक्वेंसिंग के बारे में कहा कि देश के विज्ञान जगत के लिए यह ऐतिहासिक मौका है। उन्होंने कहा कि जीनोम अध्ययन या सीक्वेंसिंग दुनिया भर में चिकित्सीय जरूरतों के लिए बेहद जरूरी है। डॉ सिंह ने कहा, भविष्य में रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों के लिहाज से जीनोम सीक्वेंसिंग करना बहुत अहम है।उन्होंने कहा कि भारत में सामने आ रही समस्याओं का भारतीय समाधान खोजने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, हमारा देश अब वैज्ञानिक रूप से उन्नत देशों में अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।
क्या होती है जीनोम सिक्वेंसिंग
हमारी कोशिकाओं के अंदर आनुवांशिक ( जेनेटिक मेटेरियल) होता है। इसे डीएनए, आरएनए कहते हैं। इन सभी पदार्थों को जीनोम कहा जाता है। एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों की गतिविधियों और उनकी दूरी को समझने के लिए कई तरह से जीनोम मैपिंग या जीनोम सीक्वेसिंग की जाती है। जीनोम मैपिंग से पता चलता है कि जीनोम में किस तरह के बदलाव आए हैं।