भोपाल। अब प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक मरीज की मौत होने पर बकाया बिल वसूली के लिए अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे। वे मरीज के परिजन को डेड बॉडी देने से मना नहीं कर सकेंगे। उन्हें डेड बॉडी देने के साथ ही शव वाहन मुहैया कराकर डेड बॉडी को ससम्मान उसके घर तक पहुंचाना होगा। यह निर्देश राज्य शासन ने प्रदेश के सभी प्राइवेट हॉस्पिटल प्रबंधन को दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने यह निर्देश राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा के आधार पर जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त डॉ. सुदाम खाडे द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक इलाज के दौरान किसी मरीज की मौत होने पर संबंधित प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक बकाया बिल की वसूली के लिए डेड बॉडी को बंधक नहीं बना सकेंगे। उन्हें डेड बॉडी को परिजन को सौंपना होगा।
डेड बॉडी को फ्रीजर में रखना होगा
प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि जब तक मृतक के परिजन डेड बॉडी को लेने हॉस्पिटल नहीं आते हैं, तब डेड बॉडी को फ्रीजर में रखना होगा। साथ ही डेड बॉडी के सम्मान का ख्याल भी रखना होगा। लावारिस डेड बॉडी के संबंध में नजदीक के पुलिस थाने में सूचना देने के साथ ही डेड बॉडी को फ्रीजर में रखा जाए। मरीज की हॉस्पिटल में मौत होने पर उसके परिजन डेड बॉडी घर तक ले जाने में सक्षम नहीं है तो ऐसी स्थिति में हॉस्पिटल प्रबंधन नगरीय निकाय का शव वाहन निशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।
कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. खाडे ने जारी निर्देश में सभी प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों को चेतावनी दी है कि इलाज के बकाया बिल वसूली के लिए डेड बॉडी को बंधक बनाने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश मप्र नर्सिंग होम एसोसिएशन, प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों सहित सभी जिलों के सीएमएचओ को भेजे गए हैं और इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।